Supreme Court: लिस्ट में सबसे सीनियर होने के बाद भी प्रीतिंकर दिवाकर सुप्रीम कोर्ट जाने से चूक गए, कॉलेजियम ने छत्तीसगढ़ से जस्टिस प्रशांत मिश्रा को दिया मौका
Supreme Court नई दिल्ली। दावेदारों की लिस्ट में सबसे सीनियर होने के बाद भी जस्टिस प्रींतिकर दिवाकर सुप्रीम कोर्ट जस्टिस बनने से चूक गए। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने छत्तीसगढ़ से जुड़े जस्टिस प्रशांत मिश्रा को सुप्रीम कोर्ट जस्टिस बनाने की सिफारिश की है। बता दें, प्रीतिंकर दिवाकर और प्रशांत मिश्रा छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में वकालत करते हुए जस्टिस अपाइंट हुए थे। हालांकि, चीफ जस्टिस बनने में प्रशांत मिश्रा प्रीतिंकर दिवाकर से आगे रहे। प्रींतिकर दिवाकर हाल में इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बने हैं, जबकि प्रशांत मिश्रा उनसे काफी पहले आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बन गए थे। मगर हाई कोर्ट जज बनने के आधार पर सीनियरिटी तय होती है। और इसमें प्रीतिंकर दिवाकर आगे थे। वे प्रशांत मिश्रा से पहले हाई कोर्ट जज बन गए थे।
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के सीनियर अधिवक्ता केवी विश्वनाथ व आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस प्रशांत मिश्रा को सुप्रीम कोर्ट जस्टिस बनाने की सिफारिश की है। प्रशांत मिश्रा छत्तीसगढ़ से ताल्लुकात रखते हैं। वे छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में पैदा हुए हैं और वकालत करते हुए छत्तीसगढ़ के महाधिवक्ता भी रहे हैं। 2009 में वे छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के जस्टिस बने। तथा 13 अक्टूबर 2021 को उन्हें आंध्रप्रदेश हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस बनाया गया। वहीं, दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ से ही ताल्लुकात रखने वाले जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर जस्टिस प्रशांत मिश्रा से सीनियर होने के बावजूद भी सुप्रीम कोर्ट नहीं पहुंच पाए। जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में वकालत की लंबी पारी खेली थी। इसके बाद उन्हें छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में जस्टिस नियुक्त किया गया। कई वर्षों तक यहां पदस्थ रहने के बाद उनका तबादला इलाहाबाद हाईकोर्ट किया गया। पिछले दिनों पदोन्नति देकर उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस बनाया गया।
जस्टिस दिवाकर व जस्टिस मिश्रा दोनों मूल रूप से छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट से आते हैं। वरिष्ठता सूची में जस्टिस दिवाकर सीनियर है। कॉलेजियम ने अपनी सिफारिश में लिखा है...इस बात से वे अवगत हैं कि जस्टिस दिवाकर और जस्टिस मिश्रा बिलासपुर हाई कोर्ट से जुड़े हैं और इनमें दिवाकर सीनियर हैं।
बावजूद इसके सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद जस्टिस प्रशांत मिश्रा का नाम सुप्रीम कोर्ट जस्टिस के लिए योग्या लगा। हालांकि कॉलेजियम ने पदोन्नति हेतु कोई भी मानक सार्वजनिक नहीं किए हैं। केंद्र सरकार को भेजी गई प्रमोशन के लिए सिफारिश में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम का यह कहना है कि ऐसे हाईकोर्ट को प्रमोशन में मौका देना चाहते हैं जिनका वर्तमान में कोई भी प्रतिनिधित्व सुप्रीम कोर्ट में नहीं है। इसमें छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट भी शामिल है। ज्ञातव्य है कि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के कोटे से कोई भी सुप्रीम कोर्ट में नहीं है। कॉलेजियम ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की वर्तमान संरचना में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। कॉलेजियम के अनुसार जस्टिस मिश्रा के सुप्रीम कोर्ट पहुंचने से छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का प्रतिनिधित्व भी सुप्रीम कोर्ट में होगा और जस्टिस मिश्रा के अर्जित ज्ञान व अनुभव का लाभ भी सुप्रीम कोर्ट को मिलेगा।
जस्टिस प्रशांत मिश्रा अखिल भारतीय स्तर पर उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की वरिष्ठता सूची में 21 वे नंबर पर है। उन्होंने 12 वर्षों तक जस्टिस के रूप में काम किया है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के यह भी संज्ञान में था कि जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर जस्टिस प्रशांत मिश्रा से सीनियर हैं, हालांकि उनके नाम पर मुहर नहीं लग पाई। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने प्रमोशन हेतु जिन कारको को अपनाएं है उनमें मुख्य न्यायाधीशों की वरिष्ठता और उनके मूल उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीशों के साथ-साथ उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की समग्र वरिष्ठता एवं योग्यता और विचाराधीन न्यायाधीशों का प्रदर्शन और सत्यनिष्ठा प्रमुख थे। सुप्रीम कोर्ट ने पदोन्नति में सर्वोच्च न्यायालय में विविधता और समावेशी सोच भी सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर गौर दिया। और इसके तहत ऐसे हाईकोर्ट को तरजीह दिया जिसका प्रतिनिधित्व सुप्रीम कोर्ट में नहीं है।